वजह
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रफ्तार-ए-ज़िन्दगी कुछ इतनी है
रफ्तार-ए-ज़िन्दगी कुछ इतनी है
की
ज़िन्दगी जीने की भी फुरसत नही
क्या करोगे इतनी दौलत कमाके गालिब
क्या करोगे इतनी दौलत कमाके गालिब
जब उसके कमाने की कोई वजह नही
रफ्तार-ए-ज़िन्दगी कुछ इतनी है
रफ्तार-ए-ज़िन्दगी कुछ इतनी है
की
ज़िन्दगी जीने की भी फुरसत नही
क्या करोगे इतनी दौलत कमाके गालिब
क्या करोगे इतनी दौलत कमाके गालिब
जब उसके कमाने की कोई वजह नही