एहसान
· One min read
सुनले गर होगा
एहसान तेरा मुझपे
रखता हूं तुझे
खुदा की जगह पे
एकतरफा सही
प्यार था मेरा तुझपे
थोडा भी नही
ऐतबार तेरा मुझपे
इतना बुरा हूँ क्या
तेरी नजरो में
की हक़ नहीं
दोस्ती का मेरा तुझपे
फूल चढ़ाए
गर तू मेरी कबर पे
बोझ न रहेगा
फिर मेरे दिल पे
तू खुशहाल रहे
मांगू कगार-ए-मौत पे