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एहसान

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सुनले गर होगा
एहसान तेरा मुझपे

रखता हूं तुझे
खुदा की जगह पे

एकतरफा सही
प्यार था मेरा तुझपे

थोडा भी नही
ऐतबार तेरा मुझपे

इतना बुरा हूँ क्या
तेरी नजरो में

की हक़ नहीं
दोस्ती का मेरा तुझपे

फूल चढ़ाए
गर तू मेरी कबर पे

बोझ न रहेगा
फिर मेरे दिल पे

तू खुशहाल रहे
मांगू कगार-ए-मौत पे