जख्म
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तेरे दिए जख्म को
कुरेद के ताज़ा रखता हूँ |
जख्म के ताज़ा रहने से
तेरी याद बरकरार रखता हूँ |
भूल न जाऊ तुझे कही
इस बात से मै डरता हूँ |
कश्मकश बस इतनी है की
जिस पल आरजू करे
ये दिल तुझे भूलाने की
उसी पल में मै
तुझे ढूंढा भी करता हूँ |