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हश्र

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हश्र मेरा यही है शायद
कोई अपना मेरे नसीब में
है ही नहीं शायद |

किसी में अपना दिखना
अगले ही पल उसे खोना
अब लाजमी है शायद |

मौत का इन्तज़ार है यहाँ
पर मौत को भी मुझमे कोई
अपना नहीं दीखता है शायद |