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चाहत

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ऐ मेरे दिल तू बस जीये जा
कोई नही तेरा न होगा कोई तेरा
इस बात से खुदको वाकिफ किये जा |

तेरा सहारा बस तू ही है
अपने ही अंदर की लाव को
अपनी ही सासो से जलाये जा |

खुदका कफ़न खुदही ओढ़ के
जिन्दा उठने की चाहत में
आज फिर एक बार सो जा |

कल आँख खुले अगर तो
इसी मश्वरे को यूही
और एक दिन जिए जा |