Skip to main content

और सुनाओ

· One min read

और सुनाओ
हर कोई कहता है |
पर सुनने के वास्ते
वक़्त कौन देता है |

मिलते है
हर शख्स कहता है |
अगली दफा पक्का
ये कहके भूल जाता है |

किसीका कुसूर नहीं
झूठी तसल्ली देना तो
इंसानी फितरत की
एक पुरानी दास्ता है |

और यु ही करते रहना

अपनी इंसानियत की
पहचान देने का एक
सस्ता और आसान रास्ता है |