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ऐतबार

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प्यार में मेरे कमी रह गयी शायद
जो तुम्हे मुझपे, ऐतबार नही

कुछ ही दिनों में मेरा चेहरा
तुम्हे फिर कभी, दिखेगा नही

मैं तेरे लिए कौन हूँ ये तो
मैं समझ गया, कोई नही

तुम्हारी खुशी से बढ़ कर
मेरा कोई, मक्सद नही

पर तुम मुझे याद रखो
इतना मैं इंसान, अच्छा नही

समझा हूँ ये कविता पढ़ने में
तुम्हे कोई, दिलचस्पी नही

तो ये पूरी कविता भेज के
तुम्हे परेशान, करूँगा नही